Minimum Wages in Delhi - E-Petition to CM

Minimum Wages in Delhi - E-Petition to CM

शुरू कर दिया
7 अक्तूबर 2019
को पेटीशन
Arvind Kejariwal (cheif Minister, Delhi) और 2 अन्य
हस्ताक्षर: 3,488अगला लक्ष्य: 5,000
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यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

द्वारा शुरू किया गया Worker Voice

सेवा में,
श्री अरविन्द केजरीवाल,
माननीय मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार,

श्री गोपाल राय,
माननीय श्रममंत्री, दिल्ली सरकार,

विषय : दिल्ली के 50 लाख मजदूरों के मंहगाई भत्ते से रोक हटाने के सन्दर्भ में

महाशय,
           मजदूरों के मांग के बाद आपकी सरकार ने विगत मार्च 2017 को दिल्ली का 37% बढ़ोतरी वाला न्यूनतम वेतन की घोषणा ही नहीं की बल्कि नोटिफिकेशन भी जारी किया. जिसके बाद मजदूरों के बीच ख़ुशी की लहर दौर गई.

मजदूरों के हक़ में यह बढ़ोतरी कुछ कॉर्पोरेट्स को रास नहीं आई और उन्होंने इसको दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली. जिसके पश्चात 7 अगस्त 2018 को माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने उक्त नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया.

दिल्ली सरकार ने मजदूरों के हक़ में हाईकोर्ट के इस आर्डर को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिसके बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने गरीब मजदूरों के हक में 31 अक्टूबर 2018 को तत्काल प्रभाव से दिल्ली सरकार के मार्च 2016 वाला नोटिफिकेशन को पुनः बहाल कर दिया. इसके साथ ही दिल्ली सरकार को दुबारा से 3 महीने के अंदर नया न्यूनतम वेतन फिर से तय करके लाने का आदेश जारी किया.

इसपर तुरंत कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर 2018 को  पुनः 37% वृद्धि वाला नोटिफिकेशन जारी किया और साथ ही लेबर विभाग द्वारा गठित न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति ने 15 फरवरी 2019 को दिल्ली के मजदूरों का नया न्यूनतम वेतन भी तय कर लिया.

इसके पश्चात, लेबर विभाग को माननीय सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के वजाय उदासीनता दिखाते हुए, तीन महीने तक उक्त फाइल को रोक कर रखा. जिसके बाद सुरजीत श्यामल के आरटीआई के तहत ध्याकर्षण के बाद विभाग ने 26 जुलाई 2019 को दिल्ली के नया न्यूनतम वेतन की फाइल सुप्रीम कोर्ट में (RTI Reply) जमा करवाई.

इस दौरान लेबर विभाग ने 01 अप्रैल 2019 का मंहगाई भत्ते का नोटिफिकेशन नहीं जारी किया और उक्त आरटीआई के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग का हवाला दिया. जो कि बिलकुल निराधार ही नहीं बल्कि मजदुर विरोधी हैं.

महामहिम, दिल्ली का न्यूनतम वेतन का केस में माननीय कोर्ट द्वारा मजदूरों को राहत दिया गया है, जबकि आपका लेबर विभाग ने उक्त आर्डर की अनदेखी कर दिल्ली के 50 लाख मजदूरों को उनके बुनियादी अधिकार से ही वंचित कर दिया हैं.

"न्यूनतम वेतन" से तात्पर्य एक मजदूर परिवार के केवल जिन्दा रहने के लिए कम से कम सैलरी से हैं. दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती मंहगाई के आलम में आपके लेबर विभाग द्वारा पिछले 1 वर्ष से मंहगाई भत्ते के रोक से हमारा जीना दुर्भर हो गया हैं.

यही नहीं, बल्कि भले ही आरटीआई के दवाब में लेबर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल जमा करवा दिया हो, मगर केस की सुनवाई में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जिसके वजह से पिछले 6-8 महीने से केवल डेट पर डेट मिल रहा हैं.

अतः, श्रीमान से आग्रह हैं कि दिल्ली के 50 लाख मजदूरों के हित में जल्द से जल्द अप्रैल 2019 और अक्टूबर 2019 के मंहगाई भत्ते का नोटिफिकेशन जारी करते हुए अपने स्तर से टीम बनाकर दिल्ली के न्यूनतम वेतन मैटर की सुनवाई अविलम्ब करवाई जाए.

धन्यबाद,

हम हैं,

न्यूनतम वेतन पर जीने वाले

दिल्ली के 50 लाख मजदुर...|

 

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डिसीजन-मेकर (फैसला लेने वाले)

  • Arvind Kejariwalcheif Minister, Delhi
  • Gopal RaiLabour Minister, Delhi Government
  • Rajender DharAdditional Labour Commissioner, Delhi Govt.