उत्तरप्रदेश कि जनसुनवाई पोर्टल पर हो रहे गलत निस्तारण व सरकार के खिलाफ जनजागरूकता अभियान ।
उत्तरप्रदेश कि जनसुनवाई पोर्टल पर हो रहे गलत निस्तारण व सरकार के खिलाफ जनजागरूकता अभियान ।
यह पेटीशन क्यों मायने रखती है
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जब से जन सुनवाई पोर्टल पर लोगो कि समस्या सुनना आईजीआर के माध्यम से सुनना जारी कि है तब से लगातार यह देखा जा रहा है कि अधिकारी गण मिथ्या निस्तारण कर के सरकार के सामने अपनी पीठ थपथपा रहे है जब कि परिस्थिती इसके विपरीत है सरकार के दवारा लोगो का ध्यान मुद्दे से भटकाकर लोगो का समय बर्बाद करना है। गरीब व समाज के परेशान लोग यह सोच कर अपनी शिकायत करतेेहै कि सरकार जल्द उस पिडीत कि मदद कर उनके न्याय दिलायेेेेगी ।
परंतु परिस्थिति उत्तर प्रदेश सरकार कि ठिक उसके विपरीत है। सरकार अपने सरकारी नुमाईंदो के मार्फत अलग अलग स्तर पर जनसूनवाई पोर्टल के माध्यम से शिकायत ले कर जिस स्तर के अधिकारी के खिलाफ जनता कि शिकायते होती है वह शिकायत उस भ्रष्ट अधिकारी के पास भी भेज देती है। अंत मे वही भ्रष्ट अधिकारी सिर्फ कागज मे ही जांच कर सव्य ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों के पास निस्तारण करने हेतु पार्थना पत्र भेज के जनता कि शिकायतो की निस्तारण अपलोड कर दिया जाता है ।
जब हम जैसे जागरूक समाज सेवको का यह हाल होता हालत आम नागरिक व समाज के दबे कुचले लोगो कि हालात रुकने लायक ही नही है ।
अंत मे यूपी सक़रकार 100% मे से 100% निस्तारण का गा्फ दिखाकर अपनी पीठ थपथपा लेती है।
जब हमने यूपी सरकार के टविटर अकाउंट व यूपी पुलिस कि टविटर अकांऊंट का हाल जानना चाहा तो पिडीत लोगो कि लिस्ट देख कर रोंगटे खड़े हो गये।
यही हाल एंटी भू माफिया पोर्टल का है। मेरी माने तो यूपी मे बलतकार ,हत्या, जमीन भाफिया, रेत माफिया आदि से बढ कर पुलिस माफिया सबसे ज्यादा सकि्य है।
यह सब देखते हुए यह आवश्यक हो गयां है कि अब सरकार व पुलिस तथा युपी सरकार के अधिकारियों के इस कृत पर समाजीक तौर पर माननीय मुख्य मंत्री के कारनामो को उच्च न्यायलय व सर्वोच्य नययालय द्वारा जनहित मे अंकुश लगाना आवश्यक हो चला है।
रही बात सरकार कि तो सरकार के मंत्री हो संतरी सभी दोनो हाथो से जनता का दोहन करने मे मस्त है।
डिसीजन-मेकर (फैसला लेने वाले)
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