दुष्ट चीन! सावधान, सिखाएगा भारत अब सबक
दुष्ट चीन! सावधान, सिखाएगा भारत अब सबक
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भारत के साथ भारत के लोग, चीन को ऐसे सिखाएंगे सबक
आज चीन के साथ भारत की उलझन सभी देशवासियों को मालूम है। भले ही 1962 के बाद से चीन से हमारी लड़ाई नही हुई, भले ही चीन हमसे व्यापार करता है फिर भी वो हमारा विश्वास कभी जीत नही पाया। ऐसा क्यों है? क्योंकि उसके अंदर खोट है। विस्तारवाद की मंशा रखना अच्छी बात है लेकिन उस विस्तारवाद में जब दूसरों की संपत्ति को अपना बताने और उस पर कब्जा करने की भी मंशा जाहिर हो जाये ऐसे विस्तारवादी को दुष्ट की श्रेणी में रखना कोई बुरी बात नही है और ऐसी दुष्ट मंशा चीन आये दिन भारत को दिखाता रहता है।
हाल ही में गलवान घाटी में हमारे 20 जांबाज सैनिको की शहादत से पूरा देश दुखी है। हमारे जवानों को उसने मारा, जिसे हम उसके सामान खरीद कर लाभ पहुचाते हैं। यह कोई आम बात नही। 20 क्या अगर एक भी जवान शहीद हुआ होता तो भी बात आम नही होती। हम सालो से फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप्प जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यमो से "जय हिंद, शत शत नमन, मुझे गर्व है जवानों पर" कहके, लिखके और दुश्मन का पुतला फूंकने जैसे छोटे काम करके अपना काम पूर्ण समझते हैं और ऐसा करके स्वघोषित देशभक्त बनके फिर अपने निजी जीवन मे व्यस्त हो जाते हैं। इसका मतलब यह है कि हम अपने छोटे घर को ही घर समझते हैं देश को बस देश। परिवर्तन तब आएगा जब हम लद्दाख गलवान को भी अपना घर समझेंगे महसूस करेंगे जहां कोई और घुसने की कोशिश कर रहा है। घर बैठे न्यूज़ देख कर खुश होते हैं जब हमारे सैनिक विजयी होते हैं और दुखी जब उनको चोट पहुचती है या शहीद होते हैं। फिर सोशल मीडिया पर देश और जवानों के समर्थन में पोस्ट करके हम उसपर कितने लाइक्स और कमैंट्स आये, इसपर खुश होने लगते हैं। क्या हमारी हैसियत/अवकात बस इतनी ही है कि इतना ही विरोध कर सकते हैं हम? क्या हम इतने ही देश भक्त हैं?
याद रहे, भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है चाहे वह हथियारों का बाजार हो या मोबाइल कपड़े रोजमर्रा की जरूरतों का। दुनिया के देश भारत से व्यापार करना चाहते हैं और कर भी रहे हैं। भारत मे सबसे ज्यादा मोबाइल कंपनियां चीन की हैं। वो भारत के मार्केट और लोगो की जरूरतों को भली भांति जानते हैं।भले ही अब चीनी मोबाइल्स पर मेड इन इंडिया लिख कर आता है लेकिन उसका सबसे ज्यादा फायदा चीन को ही होता है। उसी लाभ का इस्तेमाल वो भारत के खिलाफ करता है।
अक्साईचिन पर उसने पहले ही कब्जा कर रखा है जो कि भारत का अभिन्न अंग है, उसके बाद वो अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम जैसे कई भरतीय भागो पर अपने अधिकार का दावा करता है।क्यों करता है दावा? क्या तिब्बत पर कब्जा करने के बाद उसके पास जगह कम है जो उसे भारत के राज्य भी चाहिए? भारत, पूरा भारत हम भारतीयों का है किसी गैर का नही।
अब हमारी बारी है कि हम भी कुछ करें। हम अक्सर देशभक्ति तब व्यक्त करते हैं जब हमारे जवान शहीद होते हैं। हम किस्तो में देशभक्ति दिखाते हैं। जब बात पुरानी हो जाती है तो हमारे लिए बात सामान्य हो जाती है। बहुत से लोगो को ये नही पता होगा कि गलवान में कितने सैनिक शहीद हुए और बहुत कम लोगो को ही कुछके नाम पता होंगे। लेकिन खून तो सभी का खौला होगा। कही ऐसा न हो कि देशभक्ति की ये क़िस्त भी हम सोशल मीडिया पर पोस्ट करके अदा कर दे और खून ठंडा कर ले। कोई हमारे घर या गांव का होता तो हमे ज्यादा दुख होता। हमे नाम भी पता होता। यह तभी संभव है जब आप भारत को अपने घर जैसा महसूस करेंगे।
हमसे व्यापार करके, हमसे लाभ कमा के हमारे देश के प्रति दुर्भावना रखने वाला चीन समझता है कि हमारी जरूरतें हमारी कमजोरी हैं। रेडमी, ओप्पो, वीवो, रियलमी जैसी ढेरों कंपनिया भारत के बाजार का बखूबी इस्तेमाल करके मोटा मुनाफा अपने देश भेजती हैं जिनका उपयोग चीन अपने दुष्टतापूर्ण विस्तार और विकास पर करता है।
मैं ये नही जानता कि चीन को और उसके व्यापार को भारत से नकार के हम चीन को खस्ताहाल कर देंगे या नही लेकिन ये विश्वास के साथ जरूर कह सकता हूँ कि ऐसा करके उसे ये संदेश जरूर पहुचेगा की सम्पूर्ण भारतवासी ही एक भारत हैं।'हम भारत के लोग' केवल संविधान में लिखा कथन मात्र नही है, हम इसे करके साबित भी करते हैं। उसे वो लाभ तो जरूर बन्द होगा जो उसे मैं और आप जैसे करोड़ो भारतीय पहुचाते हैं। और ये कोई छोटा मोटा लाभ नही ये बहुत बड़ा लाभ है।
चीन भारत से लाभ कमा के भारत को ही घेरने में लगा हुआ है।अभी कोई चीनी मोबाइल कंपनी सस्ते दाम पर बहुत बेहतर और हमारे मन मुताबिक मोबाइल लांच कर दे तो शायद बहुत से लोग उसे खरीदते समय देशभक्ति साइड में रख देंगे और बाद में उसी फ़ोन से शहीदों को श्रद्धांजलि देकर चीन को कोसेंगे। बस इतनी देशभक्ति दिखाते है हम। मुझे लगता है लोग आत्मसंतुष्टि के लिए देशभक्ति दिखाते हैं। सरकार वो नही कर सकती जो हम और आप कर सकते हैं क्योंकि देशो के मध्य कुछ व्यापारिक समझौतों की मजबूरी होती है।
चीनी सामानों का बॉयकॉट करके दुनिया को ये पता चलेगा कि यहां की जनता केवल जरूरतमंद नही है जो सस्ते सामान खोजती है बल्कि जागरूक और आत्मसम्मान से भी लबालब भरी हुई है। उन्हें पता चलेगा कि अगर हमारे देश के सम्मान को जरा भी ठेस पहुची तो दोबारा भारत मे किसी भी रूप में कदम नही रखने दिया जाएगा।
चीन को हमारे जवान भारत मे घुसने नही देते तो क्या हम यह नही कर सकते कि उसके व्यापार को भी भारत मे घुसने न दे।
बिना प्रदर्शन किए, बिना सड़क पर जाम लगा के अपने लोगो को परेशान किये,बिना पुतला फूंककर प्रदूषण फैलाये हम साइलेंट वार कर सकते हैं।और हमे करना ही क्या है? बस चीन और उसके सामानों का बहिष्कार ही तो करना है।हम हर वो चीज लेने से खुद को रोक ले जो चीन की हो।
जय हिंद,जय हिंद की सेना,जय भारत।
Rohit Shukla
Decision-Makers
- हम भारत के लोग (we the people of India)