अपराधियों को जनप्रतिनिधि बनने से रोकिये

अपराधियों को जनप्रतिनिधि बनने से रोकिये

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8 October 2022
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Started by Gireeraaj Sharma

2004 में अपराधियों की संख्या 24% थी जो 2019 में बढ़कर 43% हो गयी। अपराधियों की सख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इसमें संगीन अपराध जैसे डकैती, हत्या, बलात्कार, लूट, फिरौती जैसे मामले भी शामिल है। चौकिये नहीं ये तथ्य लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद सदस्यों के बारे में है।

हमारे अधिकतर सांसदो, विधायको पर गंभीर आरोपों में कई सालो से केस चल रहे है, फिर भी वो हमारे जन प्रतिनिधि बनकर लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओ में बैठे है।  

Former President Dr Rajendra Prasad held that “If the people who are elected are capable and men of character and integrity, then they would be able to make the best even of a defective constitution. If they are lacking in these, the Constitution cannot help the country”.

खुद उच्चतम  न्यायलय के आकंड़ो के हिसाब से इन जनप्रतिनिधियों को सजा होने की दर 6% से कम है। इडुक्की केरल से कांग्रेस सांसद डीन कुरिएकोसे के ऊपर 204 केस होने का हलफनामा है। कानून बनाने का काम इन्ही का है तो कानून बनाया हुआ है की जब 2 साल से ज्यादा की सजा हो तो उस राजनेता को अपने पद से इस्तीफा देना होगा। हमारे न्यायलय इतने व्यस्त , अस्वेदनशील, गैर जवाबदेह है की उनके केस का निपटारा करके सजा ही नहीं सुनाते और ये नेता कितना ही बड़ा गुनाह करके पूरी जिंदगी अपनी राजनीती करके मर जाते है, पर केस का निर्णय नहीं होता। मतलब की अगर आप नेता है तो कितना ही बड़ा अपराध करलो आप का कुछ नहीं होने वाला। ऐसे कितने ही उदहारण हमारे सामने है सिक्खो का कत्ले आम करने वाले HKL भगत आदि। संसद यह कानून बना नहीं सकती की किसी के खिलाफ केस दायर होते ही उसे दोषी माना जाये और वह अपने सभी पदों से इस्तीफा दे क्योंकि सविंधान कहता है की जब तक साबित नहीं होता तब तक वयक्ति निर्दोष है। अत: यह जिम्मेदारी हमारी अदालतों की है की जिस भी व्यक्ति पर केस दर्ज होकर अदालत में जाये उसे अदालत जल्दी से निपटारा करे। हमारी अदालतों को चाहिए की किसी भी राजनीतिज्ञ के खिलाफ केस को जिला अदालत से उच्चतम न्यायलय तक एक तय अवधी (मानलो एक वर्ष) में पूरा करे। इसके लिए जरुरत हो तो रोज, साप्ताहिक केस सुने, पुलिस एवं जाँच में जुडी सभी संस्थाओ को सख्ती से पाबंद करे, सहयोग की व्यवस्था करे। अगर ऐसा होता है तो सभी राजनितिक दल इन अपराधियों को टिकट देना बंद कर देंगे और अपराधी हमारे जनप्रतिनिधि नहीं बनेंगे। इसमें अदालतों का एक तर्क होता है की उनके लिए सभी केस बराबर होते है अगर वे इन केस को प्राथमिकता देंगे तो अन्य केस प्रभवित होंगे। पर ये अदालते दोषी सलमान खान एक रात जेल में न रहे इसके लिए रात को 9 बजे खुलती है पर सामान्य निर्दोष व्यक्ति को ये 10 साल जेल में रख लेते है।  तब इनका यह तर्क कहा जाता है। वैसे भी अगर हमारी संसद और विधानसभाएं इन अपराधियों से मुक्त होगी तो देश का कई गुना भला होगा।

राजनीतिज्ञों की इस समस्या के सम्पूर्ण समाधान के लिए सरकार को सर्वोच्च न्यायलय के निवेदन के अनुसार संगीन अपराध में लिप्त नेताओ के पूरी जिंदगी चुनाव लड़ने, राजनैतिक पार्टी बनाने, राजनैतिक दल में कोई पद लेने एवं कोई भी सरकारी या सार्वजानिक पद लेने पूरी जिंदगी पाबंदी लगा देना चाहिए एवं गलत तरीके से कमाई हुई सम्पति जब्त कर लेनी चाहिए |

अपराधियों के जनप्रतिनिधि बनने से रोकने का अभी एक ही रास्ता है की उनके केस का निर्णय हो एवं न्याय व्यवस्था सिर्फ सर्वोच्च न्यायलय के अधीनस्थ काम करती है अत: यह जिम्मेदारी उसकी बनती है। इन अपराधियों को संसद एवं विधानसभा से रोककर हमारी न्याय व्यवस्था देश का बहुत बड़ा भला कर सकती है।  

भारत के राष्ट्रपति एवं  भारत के मुख्य न्यायधीश से  देश की 130 करोड़ जनता की तरफ से निवेदन करते है की हर राजनीतिज्ञ का केस 1 साल के अंदर हर स्तर पर निपटारा करने की व्यवस्था की जाये। 

एक भारतीय 

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